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मैं एक लड़की हूं, नारी हूं और इस रूप में ईश्वर ने मुझे अनेक अच्छे गुण दिए हैं। दया, स्नेह, ममत्व, समर्पण, सहनशीलता आदि मेरे अंदर हैं। इसे मैं ईश्वर द्वारा अपने लिया पाया गया वरदान मानती हूं, जिससे मेरे जीवन में पूर्णता आई। अत: लड़की होने का अनुभव बेहद गर्व से भरा है। मैं दुष्टमर्दन में चामुण्डा, संग्राम में कैकेयी, अनुराग में राधा, अद्र्धांगिनी में सीता, वीरता में लक्ष्मी बाई के समान रहकर जीवन के हर क्षेत्र में कुछ करना चाहती हूं। मैं जननी रूप में सृष्टिकर्ता हूं। स्त्री-पुरुष दोनों की रचना मैं ही करती हूं। इस प्रकार अपने गुण-संस्कार बच्चों में भरकर राष्ट्र को एक कुशल नागरिक प्रदान करती हूं। ‘श्री’ तथा ‘लक्ष्मी’ के रूप में मैं ही पुरुषों के जीवन को दीप्त तथा पुंजित करती हूं। इतना बड़ा योगदान है मेरा। यह सब मेरे नारी होने के कारण ही है। अत: गर्व है मुझे अपने लड़की होने पर।
लड़की होने के कारण मेरे खुद के अनुभव बहुत अच्छे रहे हैं। जब-जब मैं सफल होती हूं मेरे मां-बाप गर्व से सर उठाकर कहते हैं कि ये सफलता मेरी बेटी ने हासिल की है। यह सुनते ही मुझे खुद पर गर्व होता है कि मैंने एक बेटे की तरह उनकी अपेक्षाओं को पूर्ण किया है। लड़की होने के कारण हर जगह अधिक सम्मान प्राप्त हुआ है। जब मैंने इंटर में अच्छे अंक हासिल किए थे तथा मुख्यमंत्री की उपस्थिति में मुझे सम्मानित किया गया था, तब मेरे माता-पिता ने मेरे लड़की होने के कारण अधिक गर्व महसूस किया। मैं जीवन के हर क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा सकती हूं।
निधि कुमारी
गर्वमेंट गर्ल्स कालेज पटना
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