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जो नारियां तरह-तरह के अत्याचार सह रही हैं, उनसे मेरा कहना है कि वे चुप्पी तोड़ें और अपनी बात कहने का साहस दिखाएं। उन लोगों के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए, जो हम नारियों को अबला समझते हैं। अब महिलाएं वह सारे कार्य कर रही हैं जो पुरुष करते हैं। वे डाक्टर से लेकर पाइलट तक बन रही हैं।
मैं भी एक लड़की हूं, और मेरे भी कुछ अरमान हैं। कुछ बनने की चाहत है, लेकिन मजबूरियां कई हैं। एक सामाजिक तौर पर और एक सांस्कृतिक-धार्मिक तौर पर, क्योंकि मैं मुस्लिम हूं। घर में बहुत सी रुकावटें हैं, जिनका पालन हमें करना होता है। घर से बाहर बहुत कम निकलना, किसी गैर लड़कों से बात नहीं करना, बाहर निकलो तो नकाब पहनकर। ऐसे बहुत से रिवाज हैं जिसमें मैं बंधी हूं। मैं चाहकर भी बहुत कुछ नहीं कर सकती। लेकिन खुद पर इंसान को भरोसा होना चाहिए। वह चाह ले तो बहुत कुछ कर सकता है।
मैं कहना चाहती हूं कि जो लड़कियां अपने परिवार से सहयोग नहीं पा रही हैं, वे खुद पर यकीन रखें तो किसी भी कार्य में पीछे नहीं रहेंगी। देश की सबसे बड़ी गायिका लता मंगेशकर, टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और पी.टी.उषा भी एक लड़की हैं, जिन्होंने भारत का नाम रोशन किया। हमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जैसी सशक्त महिलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। सरकार ने महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने जैसे कई उपायों से सशक्त बनाने के लिए कदम उठाये हैं। इसका लाभ उठाना चाहिए।
हाल में हमने एक फिल्म देखी, जिसमें जमशेदपुर जंक्शन का दृश्य दिखाया गया था। फिल्म कविता नामक लड़की पर थी। वह अपने परिवार और पिता का सहारा बनना चाहती है। वह पढ़ाई खत्म करके लोगों की सेवा करने में जुट जाती है। पुरुष वाले काम करती है। दाढ़ी बनाती है।
जमशेदपुर (टाटा) में हमने देखा कि महिलाएं टैम्पो ड्राइवर, इंजीनियर, हैन्ड पम्प मकैनिक के कार्य भी बहुत आसानी से कर रही हैं। बहुत सारे कार्य महिलाएं पुरुषों के मुकाबले बेहतर कर रहीं हैं। कहीं वे उनके कदम-से-कदम मिलाकर चल रहीं हैं। हम सभी बहनों को यह देखकर प्रेरणा मिली कि हम किसी से कम नहीं। हम आसमान झुका सकते, हवा का रुख मोड़ सकते हैं।
शगुफ्ता प्रवीण
रामेश्वरदास पन्नालाल महिला महाविद्यालय, पटना सिटी
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