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नारी के बिना इस संपूर्ण सृष्टि का कोई अस्तित्व ही नहीं है। वह शक्ति की देवी है, भक्ति की देवी है और विद्या की देवी है। मुझे गर्व है कि मैंने इस संसार में एक स्त्री के रूप में जन्म लिया। यह एक अद्वितीय अनुभव है, जो सिर्फ एक नारी ही महसूस कर सकती है। इसीलिए तो ये धारणाएं बनी हैं कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं। फिर भी आज लिंग भेद हमारी मुख्य समस्या बन गयी है। आज के इस वातावरण ने मुझे पहले से अधिक असुरक्षित बना दिया है। आज मैं अपने ही घरों में सुरक्षित नहीं हूं। दहेज जैसी कुरीतियों के कारण औरतें जलाकर मार डाली जाती हैं।
इन सभी कारणों से आज मेरा स्वावलम्बी होना सराहनीय है। आज मेरे पास प्रबलता से जगा आत्मविश्वास है, सुनहरे भविष्य की कामना है और है अदम्य साहस, हर काम को करने की शक्ति और हर हाल में डटे रहने का प्रबल निश्चय। मैं तमाम विरोध बाधा, कष्ट को सहते हुए अपनी मुक्ति और सच्ची स्वतंत्रता के प्रयास में हूं। वह दिन दूर नहीं जब मैं अपनी सच्ची अवस्था प्राप्त कर लूंगी। मैं एक मध्यम परिवार से हूं और मेरे पिता विकलांग है। मेरे पिता मुझे बहुत कष्ट और अरमान से पढ़ा रहे हैं। उन्हें मुझ पर पूरा भरोसा है। जब भी मैं विपरीत परिस्थिति में होती हूं, वे हमेशा मेरा साथ देते हैं। मुझे बहुत गर्व होता है। वे मुझे और मेरे भाई-बहन को एक सा देखते हैं। वे चाहते हैं कि मैं एक आई.ए.एस. अधिकारी बनूं। मैं उनका सपना जरूर पूरा करूंगी, और तभी मुझे लड़की होने का सच्चा गर्व होगा। मैं जब लड़कियों को हरेक क्षेत्र में परचम लहराते हुए देखती हूं तो मुझमें एहसास होता है कि मैं भी एक दिन अपने देश का नाम रोशन करूंगी। आज हम हर क्षेत्र में आगे हैं, हम वो हर कार्य कर रहे हैं, जो पुरुष करते है। मेरा अभी तक का अनुभव मुझे ये बताता है कि आज हम जो चाहें, जैसा चाहें वो कर सकते हैं, परन्तु हमें खुद पर विश्वास होना चाहिए। हमें चाहिए कि हम अपने नारीत्व पर गर्व का साहस हो। हमें खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। अपनी क्षमता, योग्यता और विनम्रता के साथ जीवन के हर एक क्षेत्र में आगे बढ़ना होगा। हम जो चाहे वो कर सकते हैं तो फिर चलो सपनों को छूने और एक नया इतिहास रचने। अपने पंख पसार कर इस नीले अम्बर का विचरण करने। खुली सांस लेकर विश्वास के साथ।
कुमारी दीपशिखा
एस.एम. कालेज भागलपुर
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